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निर्मल वर्मा अपनी बात बहुत ही अलग अंदाज़ में कह देते थे... |
निर्मल वर्मा ने कहानी आधुनिकता के समावेश के साथ रची है जो शिल्प और अभिव्यक्ति की दृष्टि से बेजोड़ समझी जाती है.
वे चेकोस्लोवाकिया के प्राच्य विद्या संस्थान में सात वर्ष तक रहे.
उनकी कहानी ‘माया दर्पण’ पर 1973 में फ़िल्म बनी जिसे सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म का सम्मान मिला.
सम्मान : पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार.
प्रमुख कृतियां :
परिंदे (1959)
चीड़ों पर चांदनी (1963)
बीच बहस में (1973)
लाल टीन की छत (1974)
शब्द और स्मृति (1976)
एक चिथड़ा सुख (1979)
रात का रिपोर्टर (1989).
जन्म : 3 अप्रैल 1929 शिमला.
निधन : 25 अक्टूबर 2005 .
-समय पत्रिका.
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