वाणी प्रकाशन ग्रुप के 60वें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर 'वाणी सम्मान शृंखला' का आरम्भ केरल विश्वविद्यालय, तिरुवनन्तपुरम में किया गया। सम्मान समारोह में 'वाणी साहित्य भूषण सम्मान' प्रो. डॉ. ए. अरविन्दाक्षन; ‘वाणी हिन्दी अलंकार सम्मान’ प्रो. डॉ. जयचन्द्रन आर., डॉ. सुमा एस., डॉ. एस.आर. जयश्री और ‘वाणी सम्मान’ डॉ. गिरिजा कुमारी आर. को प्रदान किया गया। समारोह की अध्यक्षता प्रो. डॉ. मोहनन कुन्नुमल (चेयरमैन, आल इंडिया हेल्थ यूनिवर्सिटी फ़ेडरेशन; कुलपति, केरल हेल्थ यूनिवर्सिटी, केरल विश्वविद्यालय) द्वारा की गयी। साथ ही प्रो. तंकमणि अम्मा, वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी और वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल का भी सान्निध्य रहा।
समारोह में प्रख्यात लेखक और महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व प्रतिकुलपति प्रो. डॉ. ए. अरविन्दाक्षन ने कहा कि, "'वाणी साहित्य भूषण सम्मान पाकर सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। यह अपने ही परिवार के माध्यम से सम्मानित होने जैसा है। वाणी प्रकाशन को मलयालम और हिन्दी भाषा के बीच और अधिक अनुवाद प्रकाशित करने चाहिए।"
केरल विश्वविद्यालय के भारतीय भाषा विभाग के निदेशक; क्रेडिट व सेमेस्टर सिस्टम के उपाध्यक्ष प्रो. डॉ. जयचन्द्रन आर. ने "वाणी हिन्दी अलंकार सम्मान" प्राप्त करते हुए कि वाणी प्रकाशन ग्रुप का पिछले साठ वर्षों से केरल से सम्बन्ध रहा है। उन्होंने साठ वर्ष पूरे होने पर शुभकामनाएँ दीं।
"वाणी हिन्दी अलंकार सम्मान" से अलंकृत एसोसिएट प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, राजकीय आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज कालीकट की डॉ. सुमा एस. ने अपना उद्गार में कहा कि वाणी अच्छी है तो वह सबका दिल चुरा लेती है।
निश्चित ही वाणी प्रकाशन ग्रुप ने इतने बड़े बुक फ़ेयर का आयोजन करके एक बड़ा काम किया है।
आचार्य एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, केरल विश्वविद्यालय तिरुवनन्तपुरम की प्रो. डॉ. एस.आर. जयश्री ने कहा कि वाणी हमारी बौद्धिक यात्रा में एक सहयात्री और एक मित्र की तरह है। मेरे छात्र और मैं वाणी द्वारा सावधानीपूर्वक प्रकाशित किये गये महत्त्वपूर्ण मुद्दों का पीछा करते हैं।
वहीं हिन्दी-मलयालम भाषा के बीच अनुवाद, शोध और पुस्तक-विक्रेता के रूप में उल्लेखनीय कार्य करने वाली डॉ. गिरिजा कुमारी आर. ने अपना विचार व्यक्त किया कि मैं छात्रों से अनुरोध करती हूँ कि पढ़ना बहुत ज़रूरी है। आप पुस्तकें पढ़िए और आगे बढ़िए। पुस्तकें हमारे लिए अच्छी मित्र होनी चाहिए।
अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. कुन्नुमल ने कहा कि जहाँ वाणी है, वहाँ प्रकाश है। हम कामना करते हैं कि वाणी प्रकाशन समूह 60वें वर्ष में शक्ति और शक्ति प्राप्त करे।
वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने अन्त में आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के प्रमुख स्वतन्त्र प्रकाशन गृह वाणी प्रकाशन ग्रुप ने केरल से अपने साठ साल पूरे होने के जश्न की शुरुआत की है। कई लोगों को यह इसलिए असामान्य लग सकता तो क्यूंकि वाणी हिन्दी भाषा भी अग्रणी स्वतंत्र प्रकाशक है। लेकिन आपको बताना चाहते हैं कि मेरे पिता और वाणी प्रकाशन समूह के संस्थापक डॉ प्रेमचन्द ‘महेश’ केरल से एक प्रकाशक बनने के लिए प्रेरित हुए। वे 1960 के दशक की शुरुआत से राज्य का दौरा करते थे। आज मेरे लिए यह समारोह अविस्मरणीय है। मैं सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।
समारोह का संचालन किया वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी ने किया।