‘वाणी पृथ्वी’ के अन्तर्गत प्रकाशित नयी पुस्तक ‘ताज़ी हवा कैसे उगाएँ’ का लोकार्पण

‘वाणी पृथ्वी’ के अन्तर्गत प्रकाशित नयी पुस्तक  ‘ताज़ी हवा कैसे उगाएँ’ का लोकार्पण

दीपावाली पर दिल्ली का एक्यूआई बेहद खतरनाक स्तर पर था। इस सबके बीच वायु प्रदूषण से जूझने के लिए प्रेणात्मक पुस्तक  ‘ताज़ी हवा कैसे उगाएँ’ का लोकार्पण इंडिया इंटरनेशनल के लेक्चर हॉल, नयी दिल्ली में हुआ।

दिल्ली, भारत का हृदय, एक चिन्ताजनक समस्या से जूझ रही है-वायु प्रदूषण और स्मॉग। शहर की हर वर्ष बिगड़ती हुई हवा की गुणवत्ता के ख़िलाफ़ लड़ाई राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता का विषय बन गयी है, जिससे नागरिक स्वास्थ्य के लिए सार्थक और हानिकारक प्रभाव हो रहा है।

दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोतों में वाहन हैं, बड़े उद्योग जैसे विद्युत उत्पादन, लघु उद्योग, निर्माण गतिविधियाँ, जलते हुए खुले कचरे आदि शामिल हैं। समस्या को बढ़ा देता है पराली जलाने से उत्पन्न स्मॉग, जो मुख्यतः सर्दियों की शुरुआत के आस-पास होता है। इन स्रोतों से आने वाला अत्यन्त वायु प्रदूषण करोड़ों नागरिकों को प्रभावित करता है जो घने और विषैले स्मॉग का लम्बे समय से सामना कर रहे हैं। हाल के अध्ययनों ने दिखाया है कि इस वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली के निवासियों की जीवनक्षमता 12 वर्ष कम हो रही है।

फेफड़ों सहित श्वसन प्रणाली पर वायु प्रदूषण का प्रभाव प्रदूषकों के साथ-साथ किसी व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य और जोखिम की अवधि के आधार पर भिन्न हो सकता है। PM 2.5 (कणों का व्यास 0.3 से 2.5 माइक्रोन तक होता है) सबसे घातक कणों में से एक है, ये कण इतने छोटे होते हैं कि श्वसन प्रणाली में प्रवेश कर सकते हैं और स्वास्थ्य पर गम्भीर प्रभाव डाल सकते हैं।

2018 में, बढ़ते हुए वायु प्रदूषण संकट के बीच, प्रसिद्ध विशेषज्ञ कमल मीयत्तल (पहाड़पुर बिजनेस सेंटर के चेयरमैन) और बरुन अग्गरवाल (सीईओ, ब्रीथईज़ी कंसल्टेंट्स) ने ‘How To Grow Fresh Air’ किताब के अंग्रेज़ी संस्करण की शुरुआत की थी। ताज़गी से भरी हवा की आवश्यकता को देखते हुए और इंडोर एयर क्वालिटी को सुधारने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, हम ‘ताज़ी हवा कैसे उगाएँ’ किताब लॉन्च करने पर खुश हैं, जो How To Grow Fresh Air की हिन्दी संस्करण है, ताकि इसे भारत में अधिक से अधिक लोगों तक व्यापक रूप से पहुँचाया जा सके और उनको लाभ हो सके।

इस पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य हम सभी को स्वस्थ जीवन के लिए ताज़गी और शुद्ध हवा के लाभों के बारे में जागरूक करना है। इसमें बताया गया है कि हम अपनी जीवनशैली में छोटे बदलाव कैसे कर सकते हैं और अपने आस-पास के पर्यावरण के लिए ज़िम्मेदारी लेकर अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं। ताज़ी हवा ना केवल बेहतर सोच और अलर्टनेस में मदद करती है, बल्कि स्वस्थ बच्चों की परवरिश में भी सार्थक भूमिका निभाती है, जो हमारे भविष्य के संरक्षक हैं।

हार्वर्ड के हाल के अनुसन्धान से यह ज़ाहिर है कि वायु प्रदूषण का सम्पर्क और मानसिक प्रतिबन्ध के बीच एक सम्बन्ध है, जिसमें लक्षित परिणामों में शामिल हैं शिशु और बचपन में कमज़ोर न्यूरोकोग्निटिव विकास से लेकर जीवन के बाद के चरणों में मानसिक कमी और डीमेंशिया के अधिक मामलों तक (www.thecogfxstudy.com)। पुस्तक वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से बचाव करने के लिए सवारी और वायु शुद्धिकरण विधियों से लेकर हरित विकल्पों को अपनाने तक के व्यावहारिक समाधान प्रदान करती है। सबसे अच्छे वायु शोधक और वायु शुद्धिकरण पौधों का प्रदर्शन करती है ताकि हम वायु प्रदूषण के ख़तरों से सुरक्षित रह सकें। पुस्तक के लेखकों ने अपने अन्दर का अनुभव और इंडोर एयर क्वालिटी सुधारने के उपायों के आस-पास अपने अनुसन्धान को एकत्र किया है जो मनुष्यों की मदद कर सके।

लेखक, कमल मीयत्तल और बरुन अग्गरवाल ‘ताज़ी हवा कैसे उगाएँ’ में पर्यावरण समस्याओं और वायु गुणवत्ता के प्रति एक गहरे उत्साह को मुख्य रूप से प्रस्तुत करते हैं। व्यापक ज्ञान के साथ, उन्होंने एक समृद्ध गाइड बनाया है जो केवल वायु प्रदूषण के महत्त्वपूर्ण मुद्दे का समाधान करता है, बल्कि ज्ञान के साथ समर्थित व्यावहारिक समाधान भी प्रदान करता है। उनका पर्यावरण के प्रति समर्पण किताब के अन्त तक दिखता है, जिससे यह किसी के लिए एक मूल्यवान और प्राधिकृत स्रोत बनती है जो हवा की गुणवत्ता में सुधार करने और एक स्वस्थ जीवन खातिर पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए अनुसन्धा की तरह है।