वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित वरिष्ठ पत्रकार, राजनेता व सामाजिक चिन्तक हरिवंश जी की तीन नयी पुस्तकें - 'कलश', 'सृष्टि का मुकुट : कैलास मानसरोवर' और 'पथ के प्रकाश पुंज' का लोकार्पण 04 दिसम्बर, 2022 को प्रातः 11 बजे पटना पुस्तक मेला के मुख्य मंच, गाँधी मैदान, पटना, बिहार में किया जायेगा। पुस्तकों का लोकार्पण प्रसिद्ध गांधीवादी, शिक्षाविद्, पूर्व कुलपति व पूर्व सांसद डॉ. रामजी सिंह के कर-कमलों से किया जायेगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार अंकित शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार आलोक मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार विनोद बंधु और वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी उपस्थित रहेंगे।
इन तीन महत्त्वपूर्ण पुस्तकों के लोकार्पण के अवसर पर अरुण माहेश्वरी ने कहा – “पटना पुस्तक मेला दो वर्षों बाद आयोजित किया जा रहा है। यह बहुत प्रसन्नता का विषय है। हम वाणी प्रकाशन और भारतीय ज्ञानपीठ के प्रतिष्ठित प्रकाशनों के साथ हरिवंश जी की नयी पुस्तकों को पाठकों तक पहुँचाने के लिए उत्साहित हैं। हरिवंश जी पत्रकार और दार्शनिक के रूप में हम सभी के लिए आदरणीय रहे हैं। उनकी पुस्तकें युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करेंगी।”
पुस्तकों के बारे में
सृष्टि का मुकुट : कैलास मानसरोवर
हम नहाने उतरे, सात दिनों बाद नहाना हुआ। दिन के नौ बजे थे। पर, तेज़ धूप थी, फिर भी अत्यन्त ठण्डा पानी, पानी नहीं, बल्कि तरल बर्फ़, बर्फ़ का पिघला अत्यन्त पारदर्शी पानी। 11 जून की सुबह में हम काठमाण्डू में नहाये थे। इसके बाद मानसरोवर में ही स्नान हुआ। पर हमेशा बोध बना रहा कि हम मानसरोवर के जल से स्नान कर रहे हैं। सामान्य जल से, तो मैल धुलता है। कामना है कि इस जल से मन के मैल धुलेंगे । विचारों के मैल धुलेंगे। ईर्ष्या, द्वेष, राग और भोग के मैल से मुक्ति मिलेगी। देर तक हम मानसरोवर के किनारे घूमते रहे। साथ-साथ भव्य कैलास निहारते रहे। विद्यापति के शब्दों में कहें, तो-नयन न तिरपित भेल (नैन तृप्ति नहीं हुईं ) । आँखें अघायी नहीं ।
कलश
भारत के परम वैभव को जानना और समझना है, तो उसके अध्यात्म की ऊर्जा जानना ज़रूरी है। यह उसी की विराट शक्ति है कि हमारा मूलमन्त्र सदैव वसुधैव कुटुम्बकम् के साकार रूप को चरितार्थ करता है। हमने मिट्टी के कण, वायु के झोंके, जल की बूँद, अग्नि के ताप और आकाश के हर अंश को परमात्मा माना है । इन्हीं पंचतत्त्वों के मेल से हमारा शरीर बना है। अतः हमारे रग-रग में ईश्वर का वास है।- इसी पुस्तक का एक अंश
पथ के प्रकाश पुंज
याद रखें, हर वह व्यक्ति जो अपने जीवन में बहुत निष्ठा और आस्था से अपने सपनों का पीछा कर रहा है, वह अपने क्षेत्र का लीडर है। इस बारे में नेपोलियन की सुन्दर उक्ति है 'लीडर इज़ डीलर इन होप' (नेता वह सौदागर है, जो आशा में जीता है)। यही आशा उसे शिखर देती है । असाधारण व्यक्ति, वरेण्य होता ही है 1 लेकिन, जो साधारण होकर भी कुछ ऐसा कर जाता है कि देश और समाज में अपने पदचिह्नों को छोड़ता है, ऐसे ही आइकांस व्यक्तित्वों से यह पुस्तक रू-ब-रू कराती है।
लेखक के बारे में
वर्तमान में राज्यसभा के उपसभापति, हरिवंश देश के जाने-माने पत्रकार रहे हैं। 30 जून, 1956 को बलिया (उ.प्र.) ज़िले के सिताबदियारा (दलजीत टोला) में जन्म। पिता स्व. बाँके बिहारी सिंह, माँ स्वर्गीया देवयानी देवी। आरम्भिक से लेकर माध्यमिक तक की शिक्षा गाँव के स्कूल में ही। आगे की पढ़ाई बनारस में। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम. ए. वहीं से पत्रकारिता में डिप्लोमा। जे. पी. आन्दोलन में सहभागी। लोकप्रिय पत्रिका 'धर्मयुग' से पत्रकारीय करियर की शुरुआत। चार दशकों तक सक्रिय पत्रकारिता। बैंकिंग सेवा में भी बतौर अधिकारी काम (1981-84)। जिन पत्र-पत्रिकाओं से सम्बद्ध रहे : 'धर्मयुग' (1977-1981), 'रविवार' (1985-1989)। अक्टूबर, 1989 में राँची से प्रकाशित 'प्रभात खबर' के प्रधान सम्पादक। प्रधानमन्त्री चन्द्रशेखर के अतिरिक्त सूचना सलाहकार (1990-1991)। बतौर प्रधान सम्पादक पुनः 'प्रभात खबर' में ( 1991-2016)।
प्रमुख पुस्तकें : झारखण्ड : समय और सवाल, झारखण्ड : सपने और यथार्थ, झारखण्ड : अस्मिता के आयाम, झारखण्ड : सुशासन अब भी सम्भावना है, जोहार झारखण्ड, सन्ताल हूल, झारखण्ड दिसुम मुक्तिगाथा और सृजन के सपने, बिहारनामा, बिहार : रास्ते की तलाश, बिहार : अस्मिता के आयाम, जन सरोकार की पत्रकारिता, शब्द संसार तथा दिल से मैंने दुनिया देखी। चन्द्रशेखर से जुड़ी पाँच किताबों का सम्पादन : चन्द्रशेखर के विचार, चन्द्रशेखर के बारे में, उथल-पुथल और ध्रुवीकरण के बीच (चन्द्रशेखर से संवाद भाग-1), रचनात्मक बेचैनी में (भाग-2), एक दूसरे शिखर से (भाग-3) तथा चन्द्रशेखर की जेल डायरी (दो भागों में)।
अंग्रेज़ी में चन्द्रशेखर की जीवनी - द लास्ट आइकन ऑफ़ आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स।