57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार की पूर्व संध्या पर कोंकणी लेखक दामोदर मावज़ो की नयी पुस्तक का लोकार्पण

कोंकणी लेखक दामोदर मावज़ो

विश्व प्रसिद्ध कोंकणी लेखक दामोदर मावज़ो को 27 मई 2023 को शाम 5 बजे दरबार हॉल, राजभवन, गोवा में भारतीय ज्ञानपीठ के वर्ष 2022 के 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। यह सम्मान दामोदर मावज़ो को गुलज़ार साहब व गोवा के महामहिम राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई द्वारा प्रदान किया जायेगा। कार्यक्रम में गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत और गोवा के कला व संस्कृति मंत्री गोवींद गावडे की गरिमामयी उपस्थिति होगी। इस उपलक्ष्य में  वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित दामोदर मावज़ो का नया कहानी संग्रह ‘मन्नत और अन्य कहानियों’ भी पाठकों के बीच होगा।

इस अवसर पर दामोदर मावज़ो ने कहा, ‘प्रसिद्ध फ़िल्मकार, साहित्यकार गीतकार गुलज़ार की गरिमामय उपस्थिति में, ज्ञानपीठ पुरस्कार समारोह की पूर्व संध्या पर एक नई किताब का लोकार्पण मेरी साहित्यिक यात्रा में एक और नया पड़ाव है।’

वाणी प्रकाशन ग्रुप के चेयरमैन व प्रबन्ध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा, भारतीय ज्ञानपीठ की अविरल व प्रतिष्ठित साहित्यिक धारा के साथ जुड़कर वाणी प्रकाशन ग्रुप गौरवान्वित है। इस यात्रा में दामोदर मावज़ो जी के नए कोंकणी में  लिखे कहानी संग्रह को हिन्दी भाषा में रमिता गुरव द्वारा अनुवाद को उनके भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार सम्मान समारोह की पूर्व संध्या पर प्रकाशित व लोकार्पित कर हमें बेहद प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। मावज़ो जी का वाणी प्रकाशन ग्रुप में सहृदय स्वागत। पुरस्कार वितरण  समारोह की अध्यक्षता गुलज़ार साहब व गोवा के महामहिम राज्यपाल पी.एस. श्रीधरन पिल्लई कर रहे हैं। इससे लेखन व साहित्य की दुनिया में ख़ुशी की लहर है।

अनुवादिका रमिता गुरव

पुस्तक की अनुवादिका रमिता गुरव ने कहा, ‘वरिष्ठ कोंकणी लेखक दामोदर मावज़ो को भारतीय साहित्य क्षेत्र के शीर्षस्थ पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जाना सभी कोंकणी भाषा एवं साहित्य प्रेमियों के लिए गौरव की बात है। इस पुरस्कार समारोह की पूर्व संध्या पर दामोदर मावज़ो की कोंकणी कहानियों का हिंदी अनुवाद, ' मन्नत और अन्य कहानियाँ ' के लोकार्पण द्वारा  हिंदी साहित्य प्रेमियों को कोंकणी साहित्य से परिचित होने के साथ ही मानवीय मूल्यों का पुरज़ोर समर्थन करनेवाली, गोवा की मिट्टी से जुड़ी कहानियों को पढ़ने का मौका मिलेगा। वाणी प्रकाशन ग्रुप के कारण यह संभव हुआ है।

मावज़ो का जन्म 1 अगस्त 1944 को दक्षिण गोवा के माजोरड़ा गाँव में हुआ। प्रगतिशील विचार, अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, सहिष्णुता तथा मानवीय मूल्यों के प्रखर समर्थक दामोदर मावजो समकालीन कोंकणी साहित्य जगत के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। रचनात्मक लेखन के साथ ही गोवा की स्वतन्त्र राज्य के रूप में स्थापना, कोंकणी भाषा तथा गोवा के पर्यावरण की रक्षा से सम्बन्धित आन्दोलनों में वे सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कहानी, उपन्यास, निबन्ध, आलोचना, पटकथा लेखन जैसी विविध विधाओं में लेखन कार्य किया है। उनकी कोंकणी में क़रीब 25 किताबें तथा अंग्रेजी में एक किताब प्रकाशित हुई है। कई किताबों का सम्पादन करने के साथ ही उन्होंने अनुवाद कार्य भी किया है। उनकी रचनाओं का हिन्दी, अंग्रेज़ी, मराठी, कन्नड़, तमिल, तेलगु, मलयालम, गुजराती, पुर्तगाली, फ्रेंच आदि भाषाओं में अनुवाद हुआ है।

आपको कार्मेलीन उपन्यास के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1983) जिसका अब तक चौदह भाषाओं में अनुवाद हुआ है। सुनामी सायमन उपन्यास के लिए विश्व कोकणी केन्द्र का श्रीमती वी.वी.पै. पुरस्कार प्राप्त गोवा राज्य सांस्कृतिक पुरस्कार तथा कई अन्य पुरस्कार प्राप्त। फ्रैंक ओ कॉनर अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार के लिए 'तेरेझास मैन' का नामांकन। 57वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित (2022 ) किया गया है।

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कोंकणी कथाकार दामोदर मावजो पिछले साठ वर्षों से अपने रचनात्मक योगदान से कोंकणी साहित्य जगत को समृद्ध कर रहे हैं। पुर्तगाली शासन से मुक्त होने के पश्चात् अब तक गोवा के सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक जीवन में जो उतार-चढ़ाव आये हैं उन्हें हम इन कहानियों को पढ़ते हुए महसूस कर सकते हैं।